एम्स में किडनी बदलवाने के लिए मरीजों को करना होता है नौ महीने इंतजार

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नई दिल्ली  (हि.स.)। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में क्षमता से अधिक मरीजों के होने के कारण किडनी प्रत्यारोपण के मरीजों को कम से कम नौ माह की प्रतीक्षा करनी होती है। हालांकि गंभीर रोगियों को प्रतीक्षा नहीं कराई जाती है। यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में दी।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बताया कि दिल्ली के एम्स में उपचार व सर्जरी के लिए आने वाले रोगियों की संख्या संस्थान में उपलब्ध बिस्तरों से अधिक है। बावजूद इसके रोगी की स्थिति, उपचार की अनिवार्यता तथा विशेष दिन पर बिस्तर की उपलब्धता के आधार पर रोगियों की प्रतीक्षा सूची तैयार की जाती है। उन्होंने बताया कि स्किन विभाग में उसी दिन दिए गए परामर्श के आधार पर रोगी रिसेप्शन केंद्र(पीआरसी) के माध्यम से समय दिया जाता है। कुछ रोगियों को एक माह तक की अंतिम समय दिया जाता है।
चौबे ने बताया कि किडनी के रोगों के संबंध में गंभीर रोगियों को प्रतीक्षा नहीं कराई जाती है। उनको एक-दो दिन के अंदर ही अस्पताल में भर्ती किया जाता है। सामान्य रोगियों को अस्पताल में भर्ती करने के लिए कुछ दिनों की प्रतीक्षा का समय दिया जाता है। ओपीडी के लिए कुछ सप्ताहों की प्रतीक्षा की जाती है। उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को अधिक इंतजार न करना पड़े, इसके लिए एम्स में नई सुविधाओं और ब्लॉक जैसे सर्जिकल ब्लॉक, राष्ट्रीय केंसर संस्थान, झज्जर, मदर तथा चाइल्ड ब्लॉक मंजूर किए गए थे।


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