एनटीपीसी विस्थापितों के मामले में सरकार ने कहा, 24 घंटे में होगी कार्रवाई

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रांची, 08 मार्च (हि.स.)। झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के सातवें दिन मंगलवार को सदन में एनटीपीसी विस्थापितों का मामला उठा। इसके बाद सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि 24 घंटे के भीतर इस मामले की जांच कर समुचित कार्रवाई की जाएगी।

इसके पूर्व शून्यकाल के दौरान विधायक अंबा प्रसाद, बंधु तिर्की, सुदेश महतो और सीपी सिंह ने इस मामले पर आवाज उठाई। विधायकों ने कहा कि धरना-प्रदर्शन कर रहे एनटीपीसी विस्थापितों पर प्रशासन के द्वारा लाठीचार्ज और गोली चलाई जा रही है जो कि बेहद दुखद है। इस पर सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं मिलने के कारण ये विधायक हंगामा करते रहे।

सत्र के दौरान विधायक अंबा प्रसाद ने सिंचाई सुविधाओं के अभाव में किसानों को परेशानी का सामना करने और पलायन करने का मसला रखा। इस पर कृषि विभाग ने बताया है कि सिंचाई कार्य के लिए सभी जिलों में विगत वर्षों में बंजर भूमि-राईस फैलो विकास योजना के तहत 6163 सरकारी और निजी तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है। जलनिधि योजनांतर्गत 3942 परकोलेशन टैंक का निर्माण एवं 2764 डीप बोरिंग की व्यवस्था की गयी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी जिलों में सिंचाई कार्य के लिये बंजर भूमि-राईस फैलो विकास योजना के तहत 1262 तालाबों के जीर्णोद्धार पर काम जारी है। जलनिधि योजना के तहत 1963 परकोलेशन टैंक निर्माण और 1766 डीप बोरिंग की योजना पर भी काम चल रहा है।

दूसरी ओर झारखण्ड के खनन क्षेत्र में जनसमुदाय के उत्थान पर अब तक 5402.48 रुपये खर्च किये गये हैं। इसमें विस्थापितों के लिए खर्च की गई राशि शामिल है। अम्बा प्रसाद के खनन प्रभावित क्षेत्रों में डीएमएफटी योजना के तहत विकास योजनाओं को लेकर पूछे सवाल पर खान एवं भूतत्व विभाग ने जवाब दिया। इसके बाद सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

विभाग ने बताया है कि खान एवं खनिज (विकास एवं विनिमय) संशोधन अधिनियम 2015 के तहत राज्य के सभी 24 जिलों में डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन किया जा चुका है। डीएमएफटी कोष में अब तक कुल 8099.4 करोड़ रुपए की राशि मिली है जिसमें से कुल 5402.48 करोड़ रुपये की योजना की स्वीकृति डीएमएफ रूल्स 2016 एवं केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधान मंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के तहत मिली है। इस राशि को खनन कार्यों से प्रभावित खनन क्षेत्र एवं जनसमुदाय (विस्थापित सहित) के उत्थान एवं कल्याण के लिए पेयजलापूर्ति,स्वच्छता शिक्षा एवं अन्य क्षेत्र में की गई है।

इसके पूर्व सदन में सरकार ने माना है कि कोरोना के दौरान कुछ निजी विद्यालयों के प्रबंधन द्वारा शिक्षण शुल्क में बढ़ोत्तरी किये जाने की सूचना है। भाजपा विधायक ढुल्लू महतो के ऐसे विद्यालय द्वारा अप्रत्याशित शिक्षण शुल्क को लेकर पूछे सवाल पर यह जवाब मिला है। ढुल्लू ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक काफी परेशानी झेल रहे हैं। आर्थिक रूप से इन पर दोगुना भार डालना उचित नहीं है।

इस पर सरकार ने कहा है कि निजी विद्यालय के शिक्षण शुल्क के अप्रत्याशित वृद्धि पर नियंत्रण के लिए झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 में प्रावधान किया गया है। इसके विरुद्ध कुछ निजी विद्यालयों द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया गया है। मामला न्यायालय में विचाराधीन है न्यायालय के आदेश आने के बाद सरकार द्वारा कार्रवाई की जायेगी।


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