उ.प्र.,बिहार,महाराष्ट्र की बदौलत 2019 में भारी बहुमत लाने की तैयारी

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2014 में तीनों राज्यों की 168 लोकसभा सीटों में से 145 सीटें जीता था राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन

नई दिल्ली, 08 अक्टूबर(हि.स.)। आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर भाजपा का सबसे अधिक ध्यान ,उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र पर है। इन तीनों राज्यों में मिलाकर लोकसभा की सीटें 168 हैं, जिसमें से 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 116 सीटें जीती थी ।उसने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इन तीनों राज्यों में कुल 145 सीटें जीती थी। यानी इन तीनों राज्यों में इसके सहयोगियों ने 29 सीटें जीती थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राजग को 339 सीटें मिली थी। इसमें से 145 सीटें उ.प्र., बिहार, महाराष्ट्र में मिली थीं| बाकी अन्य राज्यों में मात्र 194 सीटें मिली थीं। इससे स्पष्ट है कि केंद्र में भाजपा नीत सरकार बनाने में उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र का सबसे अधिक योगदान रहा। यही वजह है कि भाजपा किसी भी तरह से उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली सीटों से कम सीट नहीं चाहती। वरिष्ठ पत्रकार डा.हरि देसाई का कहना है कि इसके लिए प्रमुख विरोधी पार्टियों को एकजुट नहीं होने देने की रणनीति को साम दाम दंड भेद के मार्फत कारगर करने की कोशिश की जा रही है| इसमें काफी हद तक सफलता भी मिल गई है। इसके लिए लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए एक हो गए जदयू,राजद व कांग्रेस में फूट डालकर,जदयू के साथ भाजपा ने गठबंधन करके राज्य में सरकार बना लिया। इस तरह से बिहार को अगले लोकसभा चुनाव के लिए लगभग सुरक्षित कर लिया है। रही बात उत्तर प्रदेश की, तो बसपा प्रमुख मायावती को आय से अधिक संपत्ति, खाद्यान्न घोटाला, ताज कॉरिडोर मामलों में और उनके भाई आनंद कुमार के फर्जी कंपनियों, आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में सीबीआई ने उनके भाई को बुला कर दो दिन पूछताछ के लिए रोक कर उन पर दबाव बनाया। इसके चलते गिरफ्तारी के डर से और अपने भाई को बचाने के लिए मायावती ने दिसंबर में होने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने से इनकार कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि बसपा अब कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी। कहा जाता है कि सीबीआई के डर से मायावती बसपा का गठबंधन उत्तर प्रदेश की दूसरी प्रमुख पार्टी सपा के साथ भी नहीं करेंगी।
चर्चित वकील वी.चतुर्वेदी का कहना है कि मायावती पर अब सपा से भी गठबंधन नहीं करने की घोषणा करने का दबाव है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि वह एक दो महीने में सपा से किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करने और उ.प्र. में अकेले लोकसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर सकती हैं। उधर महाराष्ट्र में भी राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत पवार पर राज्य की भाजपा सरकार ने सिंचाई घोटाला मामले में शिकंजा कसना शुरू कर दिया गया है। बोइंग घोटाला मामले में प्रफुल्ल पटेल जो कि राकांपा के खजांची हैं के विरुद्ध सीबीआई फाइल खोल रखी है। कोशिश है कि अगले लोकसभा व राज्य विधानसभा चुनाव में शरद पवार की कांग्रेस से गठबंधन नहीं हो, अलग-अलग लड़ें। सूत्रों का कहना है कि पवार पर महाराष्ट्र में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने की जल्दी घोषणा करने और बसपा से गठबंधन करके लड़ने का दबाव है, ताकि कांग्रेस का अधिक से अधिक वोट काटें।
अगर यह सब हो गया तो उ.प्र.,बिहार व महाराष्ट्र में भाजपा 2019 के लोकसभा चुनाव में भी लगभग उतनी सीटें जीत सकती है जितनी 2014 में जीती थी।


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