उप्र की 25 सीटों पर वोटकटवा की भूमिका निभाएंगे प्रसपा के उम्मीदवार

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नई दिल्ली, 28 मार्च (हि.स.)। 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में ज्यादातर सीटों पर कमजोर प्रत्याशी खड़ा करने के कारण सपा – बसपा गठबंधन को सीटें कम मिलने का समीकरण बनता दिखाई दे रहा है । गठबंधन के चलते इनके नेता राज्य की 80 में से लगभग 50 सीटों पर जीत का सपना देखने लगे थे। जो साकार होता नहीं दिख रहा है। रही सही कसर समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के सगे भाई शिवपाल यादव अपनी अलग पार्टी बनाकर पूरा कर रहे हैं।
अखिलेश यादव, जिन्होंने सपा पर कब्जा करके चाचा शिवपाल को किनारे लगा दिया, से बदला लेने के लिए शिवपाल हर तरह का उपक्रम कर रहे हैं। उनकी कोशिश प्रदेश में सपा – बसपा गठबंधन को राज्य की कम से कम 20 से 25 सीटों पर हरवाने की है। चुनिंदा सपा व बसपा प्रत्याशियों को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाने की है। इसके तहत शिवपाल यादव अपनी “प्रगतिशील समाजवादी पार्टी” के बैनर तले ऐसे प्रत्याशी खड़ा कर रहे हैं जो उसी जाति व प्रभाव वाला हो, जिस जाति का प्रत्याशी सपा व बसपा खड़ा कर रही हैं। यही काम उत्तर प्रदेश में मुलायम सरकार में अघोषित रूप से सब कुछ रहे और अखिलेश यादव द्वारा किनारे लगा दिये गये अमर सिंह भी कर रहे हैं।
अमर सिंह अब इसके लिए भाजपा के साथ हो गये हैं। कभी वह सपा के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति थे। उन दिनों अमर सिंह – अनिल अंबानी – अमिताभ बच्चन – सुब्रत राय सहारा की चौकड़ी के चर्चे हर जुबान पर रहते थे। समय के साथ सब कुछ बदलता चला गया। अनिल अंबानी व उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी में अलगाव, प्रतिद्वंद्विता, अमर सिंह की बातचीत की सीडी उजागर होना, सासंदों की खरीद – फरोख्त मामले , यूपीए सरकार के समय अनिल अंबानी व सुब्रत राय के विरुद्ध कई मामले में कार्रवाई के कारण समीकरण बदलते चले गये। बाद में हालत यह हो गई कि चारों यारों ने अलग राह पकड़ ली।
मुलायम के बाद माया राज आ गया। उसके बाद अखिलेश का राज आया। अखिलेश ने चाचा अमर को किनारे लगा दिया। तबसे अमर सिंह राजनीतिक बियाबान में अपना नया ठौर तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। वह बड़ी ही साफगोई से कहते हैं कि पहला मौका मिलते ही भाजपा में शामिल हो जाऊंगा। उन्होंने आजमगढ़ का अपना पैतृक आवास व कई करोड़ का आलीशान बंगला संघ को दे दिया। अभी अपनी भरोसेमंद फिल्म अभिनेत्री व पूर्व सांसद जया प्रदा को रामपुर से भाजपा का प्रत्याशी बनवा दिया। यह करके उन्होंने रामपुर से सपा के प्रत्याशी तथा अपने घनघोर विरोधी आजम खान को हरवाने का इंतजाम कर दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में रामपुर संसदीय सीट से भाजपा के प्रत्याशी नेपाल सिंह थे । उन्होंने सपा प्रत्याशी नसीर अहमद खान को 23,435 मतों से हराया था। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 3,58,616 वोट मिले थे। सपा प्रत्याशी को 3,35,181 वोट तथा बसपा प्रत्याशी अकबर हुसैन को 81,006 वोट मिले थे। इस बार सपा व बसपा गठबंधन करके लड़ रहे हैं। और उनके संयुक्त उम्मीदवार आजम खान हैं।
सपा-बसपा प्रत्याशियों को मिले वोटों के हिसाब से रामपुर में जया प्रदा के लिए चुनाव आसान नहीं है। अमर सिंह व भाजपा के बदौलत आजम खान को वह नाकों चने चबवा देंगी और संभव है हरा भी दें। क्योंकि वहां से शिवपाल भी अपना मजबूत प्रत्याशी खड़ा कर रहे हैं जो आजम खान का वोट काटेगा, जिससे भाजपा प्रत्याशी जया प्रदा जीत जायें। इस बारे में भाजपा प्रवक्ता गोपाल अग्रवाल का कहना है कि भाजपा हर संसदीय सीट पर बहुत ही कैलकुलेटिव तरीके से लड़ रही है । हर जगह जातीय व अन्य समीकरण को देखते हुए तैयारी की गई है। शिवपाल यादव के एक विश्वस्त कार्यकर्ता राम बदन का कहना है हमारे नेताजी ने जीवनभर मुलायम सिंह के साथ मिलकर सपा की जमीन बनाई है। उनको पता है कि किस सीट पर क्या समीकरण है। वह हर जगह ऐसा प्रत्याशी देने की कोशिश कर रहे हैं जो अधिक से अधिक वोट पा सके। यह होने पर सबसे अधिक नुकसान सपा- सपा प्रत्याशी का ही होगा। इस तरह अमर सिंह व शिवपाल अपने – अपने तरीके सपा – बसपा का वोट काट रहे हैं। इसका लाभ भाजपा को मिलेगा।
वरिष्ठ पत्रकार नवेन्दु का कहना है कि अमर सिंह व शिवपाल यादव सपा-बसपा गठबंधन को 25 से अधिक सीटों पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन गठबंधन को उससे अधिक नुकसान गलत प्रत्याशी खड़ा करने के कारण हो रहा है। यदि गठबंधन ने अच्छे प्रत्याशी खड़ा किये होते (अभी तक जिनके नाम घोषित किये हैं), तो इसको लगभग 30 से 40 सीटें मिल सकती थीं। अब इसकी संभावना कम हो गई है। इस बारे में भाजपा नेता अजय मुन्ना का कहना है कि मोदी –योगी – शाह की आंधी में माया – अखिलेश का गठबंधन हवा हो जायेगा। राज्य में सबसे अधिक सीटें जीतने का दोनों का ख्वाब धरा रह जायेगा । भाजपा ही सबसे अधिक सीटें जीतेगी।

 


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