आगरा में प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूपी सरकार नाकाम, एनजीटी ने लगाया 25 करोड़ का जुर्माना

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नई दिल्ली  (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल(एनजीटी) ने आगरा में यमुना में कूड़ा और सीवेज डालने के मामले में सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को 12 मार्च को उसके सामने पेश होने का निर्देश दिया।

एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार को यह राशि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि आगरा छावनी रेलवे स्टेशन पर सड़कों पर ठोस कचरा जलाया जा रहा है, शहर में जहां-तहां कूड़े के ढेर जमा हैं। शहर में नाले जाम होने से वे सड़कों पर बह रही हैं। शहर की सीवरेज व्यवस्था आधा-अधूरा काम कर रहा है। एनजीटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश को दोषी अफसरों और प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

एनजीटी ने यूपी सरकार से तीन महीने के अंदर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने कहा कि मुख्य सचिव इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस देवी प्रसाद सिंह की अध्यक्षता वाली निगरानी समिति की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करें।

आगरा के निवासी डीके जोशी और एनजीओ सोशल एक्शन फॉर फॉरेस्ट एवं इनवायरनमेंट ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि आगरा शहर में पर्यावरण नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। आगरा से होकर गुजरने वाली यमुना नदी में कूड़ा और सीवेज डाले जाते हैं, जिससे प्रदूषण फैल रहा है। याचिका में कहा गया है कि आगरा शहर की सीवरेज व्यवस्था 50 सालों से भी ज्यादा पुरानी है और कई नाले जाम हैं जिसकी वजह से वे ओवरफ्लो होकर जगह-जगह बह रही है।


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