आईआईटी रुड़की में पेटास्केल सुपर कम्यूटर स्थापित
हरिद्वार, 07 मार्च (हि.स.)। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की में सी-डेक द्वारा सुपरकम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर 1.66 को नेशनल सुपरकम्प्यूटिंग मिशन के अंतर्गत स्थापित किए जाने से विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बहुआयामी क्षेत्र में गति प्राप्त होगी।
इसका मुख्य उद्देश्य आईआईटी रुड़की और उसके आसपास की शैक्षणिक संस्थाओं के उपभोक्ता वर्ग को कम्प्यूटेशनल पॉवर उपलब्ध करवाना है। यह विज्ञान और तकनीकी विभाग और इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का संयुक्त प्रयास है।
इस राष्ट्रीय सुपरकम्प्यूटिंग सुविधा का उद्घाटन चेयरमैन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स आईआईटी रुड़की बीवीआर मोहन रेड्डी, द्वारा प्रोफेसर एके चतुर्वेदी, निदेशक, आईआईटी रुड़की, डॉक्टर हेमंत दरबारी, मिशन डायरेक्टर, एनएस, सुनीता वर्मा, साइंटिस्ट एंड हेड प्रोग्राम डिवीजन, एमइआईटीवाय, डिवीजन, प्रोफेसर मनोरंजन परिदा, उप निदेशक आईआईटी रुड़की, संजय वानढेकर पुणे और संयोजक एक्सपर्ट ग्रुप ऑन इन्फ्रास्ट्रक्चर आईआईटी रुड़की एंडसी- डेक के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की द्वारा पूर्व में सेंटर फॉर डेवलपमेंट एडवांस कम्प्यूटिंग से एक ज्ञापन समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किये थे, जिसका उद्देश्य इस तरह की सुपर कम्प्यूटिंग सुविधाओं को मेक इन इंडिया के अंतर्गत उनके कंपोनेंट्स और क्रिटिकल कंपोनेंट्स जैसे कि सर्वर्स के मदरबोर्ड, डायरेक्ट कॉन्टेक्ट लिक्विड कूलिंग डाटा सेंटर्स, जो कि भारत सरकार की पहल आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत निर्मित किए गए हैं।
बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहाकि आईआईटी रुड़की अपने विकसित अनुसंधान करने की क्षमता को सुपरकम्प्यूटिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो कि छैड के माध्यम से तैयार किया गया है से पूरा करेगा। परम गंगा के क्रिटिकल कंपोनेंट्स, जैसे कि कम्प्यूट नोड्स के लिए तैयार किए गए मदर बोर्ड्स और डायरेक्ट कॉन्टेक्ट लिक्विड कूलिंग डाटा सेंटर्स को भारत सरकार की पहल आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत, भारत में ही बनाया गया है।
डॉक्टर हेमंत दरबारी, डायरेक्टर जर्नल, सी डेक और आईआईटी रुड़की के पूर्व विद्यार्थी ने बताया कि पेटास्केल, पीटास्केल सुपरकम्यूटर को भारत में निर्मित कंपोनेंट्स की मदद से बनाने के पीछे का मूल उद्देश्य आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर आगे बढ़ना है, ताकि समस्याओं को सुलझाने की क्षमता को सभी क्षेत्रों में लगातार बढ़ाया जा सके।
प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी, डायरेक्टर, आईआईटी रुड़की ने कहाकि भारत में नेशनल सुपरकम्प्यूटिंग मिशन 2015 में शुरू किया गया, जिसका मूल उद्देश्य कम्प्यूट पॉवर के कमी वाले क्षेत्रों में उच्चस्तरीय अनुसंधानों का पोषण करना है। इस मिशन के अंतर्गत आईआईटी रुड़की और सी-डेक ने परम गंगा को संभव बनाने के लिए हाथ बढ़ाए हैं, इससे आईआईटी रुड़की में अनुसंधान की गतिविधियों को कई क्षेत्रों में बल मिलेगा।