असम में दो सौ एडिशनल फॉरेनर्स ट्रिब्युनल्स के लिए रिटायर्ड नौकरशाहों की नियुक्ति होगी

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-एनआरसी रजिस्टर में पूर्व सैनिक का नाम नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई



नई दिल्ली, 30 मई (हि.स.)। असम में एनआरसी रजिस्टर में एक पूर्व सैनिक का नाम नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताते हुए एनआरसी कोआर्डिनेटर प्रतीक हजेला को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करें कि दावों को निपटाने में जल्दबाजी न की जाए।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने कहा कि 31 जुलाई को एनआरसी के प्रकाशन की समय सीमा में कोई बदलाव नहीं होगा लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि जिन लोगों ने एनआरसी में अपना नाम दर्ज कराने के लिए दावा किया है उन्हें पूरा मौका दिए बिना ही सुनवाई कर ली जाए। दरअसल तीस साल तक सेना में काम कर चुके असम के एक रिटायर्ड सैनिक को कुछ दिनों पहले एक ट्रिब्युनल ने विदेशी करार दिया। उस सैनिक को गिरफ्तार भी कर लिया गया। उस सैनिक का नाम एनआरसी के पहले ड्राफ्ट में नहीं था। उसके बाद उसने एनआरसी में नाम शामिल करने के लिए दावा दाखिल किया जो अभी लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को असम में दो सौ एडिशनल फॉरेनर्स ट्रिब्युनल्स के लिए रिटायर्ड नौकरशाहों को नियुक्ति करने की अनुमति दे दी।
कोर्ट ने कहा कि जिन रिटायर्ड नौकरशाहों को न्यायिक कामों का अनुभव हो, उन्हें नियुक्त किया जाए। ये दो सौ एडिशनल ट्रिब्युनल्स उन सौ ट्रिब्युनल्स के अतिरिक्त होंगे जो पहले ही गठित किए जा चुके हैं। पिछले 8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने असम में एनआरसी की प्रक्रिया पूरा करने की तारीख 31 जुलाई से आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने प्रतीक हजेला से कहा था कि आप 31 जुलाई से एक दिन पहले ये काम पूरा करें लेकिन एक दिन देर से नहीं। सुनवाई के दौरान प्रतीक हजेला की तरफ से कहा गया था कि आपत्तियां पर सुनवाई 6 मई से शुरू हुई है। बहुत से मामलों में आपत्ति दर्ज करानेवाले उपस्थित नहीं हो रहे हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा था कि अगर वे नहीं उपस्थित हो रहे हैं तो कानून अपना काम करेगा। आप अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल कीजिए और उपस्थित नहीं होने वालों के मामलों पर कानून के मुताबिक काम कीजिए।


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