अमेरिका में ”अर्बन नक्सल” को जानने की जिज्ञासा : विवेक अग्निहोत्री
लॉस एंजेल्स, (हि.स.) । फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ने देश के कथित बुद्धिजीवियों से सावधान रहने की जरूरत पर बल दिया है। उनका कहना है कि अर्बन नक्सली वह है जो दलित, मजहब और पंथ आदि खतरों का भय दिखाकर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं। ये वही लोग हैं, जो भोले-भाले लोगों का इस्तेमाल करते हैं और फिर सरकार पर अकारण जब तब अंगुलियां उठाते रहते हैं। उन्होंने इस जमात के लोगों को देश के लिए नासूर बताया है। उन्होंने कहा कि लोगों में अर्बन नक्सल को जानने की जिज्ञासा है। ‘अर्बन नक्सलवाद’ पुस्तक के लेखक अग्निहोत्री ने शनिवार को लॉस एंजेल्स के विद्वत समाज में ‘अर्बन नक्सली’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद नक्सलवाद की दुकान चलाने वालों की नकेल कसी गई है, उनके आकाओं की कमाई पर असर पड़ा है, गैर सरकारी संगठनों के जरिए जो विदेशी फंडिंग होती थी, उस पर अंकुश लगा है। इस जमात के लोग अब हताश निराश हैं। इस गोष्ठी का आयोजन भारतीय विचार मंच ने किया था। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि अमेरिका में लोग उनकी पुस्तक ‘अर्बन नक्सल’ पर चर्चा कर रहे हैं। उन्हें आमंत्रित कर देश में इस विषय पर खुल कर बातचीत करना चाहते हैं। विवेक ने कहा कि कश्मीर में आतंकवाद का साया हो अथवा बस्तर में नक्सलवाद का, इसकी कमान विदेशी शक्तियों के हाथों में है। इसके लिए आज सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि देश में ऐसी सोच वाले लोगों से सतर्क रहें। उनका कहना था कि विमुद्रीकरण से इस जमात पर अंकुश लगाने में सरकार को मदद मिली है।