अभिनेत्री नहीं डाक्टर बनना चाहती थीं नरगिस दत्त

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नई दिल्ली, 31 मई (हि.स.)। हिन्दी सिनेमा की बेहतरीन अदाकारा नरगिस दत्त का कल 01 जून को 89वां जन्मदिन है। हिन्दी फिल्म जगत में अपने शानदार अभिनय से लोगों के दिलों पर राज करने वाली नरगिस दत्त बचपन में अदाकारा नहीं बल्कि डॉक्टर बनना चहती थीं। कलकत्ता (अब कोलकाता) में 1929 को जन्मी नरगिस दत्त के घर का महौल पूरा फिल्मी था| उनकी मां जद्दन बाई एक अभिनेत्री और फिल्म निर्माता थीं। इसके बावजूद नरगिस का रुझान कभी अभिनय की तरफ नहीं रहा। नरगिस की मां जद्दन बाई उन्हें अभिनेत्री बनाना चाहती थीं| एक बार जद्दन बाई ने नरगिस को उस समय के मशहूर निर्माता-निर्देशक महबूब खान के पास स्क्रीन टेस्ट के लिए जाने को कहा| नरगिस फिल्मी जगत में जाने की तमन्ना नहीं रखती थीं| उन्होंने सोचा कि अगर मैं स्क्रीन टेस्ट में फेल हो जाती हूं फिर तो कोई विकल्प नहीं बचेगा। ऐसे में नरगिस ने स्क्रिन टेस्ट में महबूब के सावलों के जवाब बड़े अनमने ढंग से दिया| नरगिस को विश्वास था कि वह फेल हो जाएंगी, लेकिन नरगिस का सोचना बिल्कुल गलत निकला| महबूब खान ने उन्हें अपनी अगली फिल्म तकदीर (1943) के लिए सेलेक्ट कर लिया। इसके बाद नरगिस दत्त ने महबूब खान द्वारा ही निर्मित फिल्म हुुमायुं (1945) में भी काम किया। नरगिस दत्त के फिल्मी करियर में 1949 में आई ‘बरसात’ और ‘अंदाज’ फिल्मों ने उन्हें अभिनय के अलग मुकाम पर पहुंचाया। ‘अंदाज’ में नरगिस दत्त के साथ दिलीप कुमार और राजकपूर जैसे मशहूर अभिनेता होने के बावजूद नरगिस ने अपने अभिनय से लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था। दो फिल्मों की जबरदस्त सफलता के बाद नरगिस के लिए 1950-1954 तक का दौर बहुत बुरा रहा। इस दौरान उनकी 8 से ज्यादा फिल्में बाक्स ऑफिस पर असफल रही| इसमें बेवफा, आशियाना,अनहोनी, शिकस्त, पापी, धुन और अंगारे फिल्में थी। इसके बाद 1955 में आई फिल्म श्री-420 ने उन्हें एकबार फिर शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया| इस फिल्म में नरगिस दत्त के साथ राजकुमार भी थे। नरगिस दत्त के फिल्मी करियर में राजकपूर के साथ जोड़ी खूब पसंद की गई। इसमें आग, बरसात, जान-पहचान, प्यार, आवारा, अनहोनी, आशियाना, धुन, पापी, श्री 420, जागते रहो,चोरी-चोरी, जैसी सफल फिल्में शामिल हैं। वर्ष 1957 में आई फिल्म ‘मदर इंडिया’ नरगिस दत्त के सिने करियर में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ। इस फिल्म में नरगिस सुनील दत्त की मां बनी थीं। इस फिल्म से बहुत ही दिलचस्प वाक्या जुड़ा हुआ है। फिल्म के एक सीन के दौरान सेट पर आग लग गई| तब सुनील दत्त ने नरगिस को आग से बचाया था। इसके बाद सुनील और नरगिस की प्रेम कहानी शुरु हुई थी। नरगिस दत्त ने तब बोला भी था कि आज पुरानी नरगिस की मौत हो गई और नई नरगिस का जन्म हुआ है। इसके बाद नरगिस ने अपनी स्टारडम के परवाह किए बिना 1958 में सुनील दत्त से शादी कर ली। शादी के बाद नरगिस ने फिल्मों में काम करना कम कर दिया। हालांकि 10 साल बाद 1967 में अपने भाई अनवर और अख्तर के कहने पर फिल्म ‘रात दिन’ में काम किया। इस फिल्म में नरगिस दत्त के अभिनय की खूब तारीफ हुई। इसके बाद नरगिस को इस फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया। आपको बता दें कि नरगिस पहली हिन्दी फिल्म अभिनेत्री थी जिन्हे इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा नरगिस वह पहली अदाकारा थीं जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था| साथ ही वह पहली राज्यसभा सदस्य भी रही। लगभग 55 फिल्मों में अपने अदाकारी से लोगों के दिलों पर राज करने वाली नरगिस दत्त 03 मई, 1981 को दुनिया को अलविदा कह दिया


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