अब पूरे राजस्थान में उगेंगे सेब और इलायची
झुंझुनू, 3 फरवरी (हि.स.)। राजस्थान की रेतीली मिट्टी में अब सेब, इलायची, बादाम, कटहल और खसखस की खेती आसानी से की जा सकेगी। झुंझुनू जिले के पिलानी कस्बे में स्थित केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) के वैज्ञानिकों ने प्रीसीजन कृषि के प्रायोगिक स्टेशन के माध्यम से ठंडे प्रदेशों के पौधों को रेगिस्तान में लगाने में सफलता हासिल की है।
टीम प्रभारी डॉ. मनीष मैथ्यु के अनुसार जुलाई माह में सीरी कैम्पस में सेब, अनार, बादाम, कटहल, इलायची, बेर, खस-खस, जैतून आदि कई प्रकार के पौधों की भिन्न-भिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए थे। लगभग छह माह बीत जाने के बाद कई पौधों में फल लगने लगे हैं। किसानों को जरूरी प्रशिक्षण देने के बाद उनसे पौधे उगवाए जाएंगे।
जिले के पिलानी कस्बे में स्थित सीरी में लगाए गए प्रत्येक पौधे के पास जमीन में एक अत्याधुनिक सेंसर लगाया गया है। जब पौधों को पानी की जरूरत होती है तो जमीन में लगा सेंसर कंट्रोल रूम को सिंचाई करने का संदेश भेजता है। संदेश के आधार पर स्वचालित मशीन से ड्रिप में पानी शुरू हो जाता है। पौधे की आवश्यकता पूर्ण होने पर सेंसर दूसरा मैसेज भेजकर मशीन को पानी बंद करने का इशारा करता है। इसके अलावा पानी में फ्लोराइड की अधिकता के कारण ड्रिप सिंचाई के लिए लगे नलों में ब्लॉकेज की समस्या के निवारण के लिए भी तीन स्तरीय फिल्ट्रेशन सिस्टम भी लगाया गया है। पौधों के पास में स्वचालित मौसम केन्द्र भी स्थापित किया है।
केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत की टीम की ओर से स्थापित यह मौसम परीक्षण केंद्र, मौसम में होने वाले बदलावों पर नजर रखता है। हवा की गति, आद्रता, धूप, तापमान आदि जैसे मानकों के अनुसार पौधों की निगरानी करता है। मौसम केन्द्र से मिलने वाली जानकारी के आधार पर संस्थान की ओर से विकसित इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली की मदद से खेत में पौधों की सिंचाई एवं सुरक्षा आदि का बंदोबस्त किया जाता है।
पानी को शुद्ध करने, सिंचाई मशीन ड्रिप सिस्टम, सेंसर एवं मौसम केन्द्र को सौर ऊर्जा से जोड़ा गया है। इससे एक ओर जहां बिजली के खर्च की बचत होती है। वहीं किसी प्रकार की निर्भरता भी नहीं रहती है। सीरी कैम्पस में आबाद के करीब तीन सौ घरों से निकलने वाले गंदे पानी को सीवरेज ट्रीटमेन्ट प्लांट की सहायता से खेती के लिए उपयोगी बनाया गया है। इस पानी को उपजाऊ बनाने के लिए तीन बड़े तालाब बनाए गए हैं। विशेष प्रयोजन से तालाबों में मछलियां डाली गई है। मछलियों से भोजन के बाद जो अपशिष्ट निकलता है वह पानी में घुल जाता है और बढ़िया उर्वरक के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है जिससे वह पानी भूमि को उपजाऊ बनाता है।
सीरी पिलानी के निदेशक डॉ. पी.सी. पंचारिया का कहना है कि केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीरी) अपने उच्च स्तरीय शोध के साथ-साथ जनसामान्य को सीधे लाभान्वित करने के लिए भी शोध एवं विकास कार्य करता है। इलेक्ट्रॉनिकी के उपयोग से प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए हम प्रयासरत हैं। संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा प्रीसीजन खेती के लिए किए जा रहे प्रयास भी शीघ्र ही फलीभूत होंगे।