अपने ही गढ़ में सिंधिया को किससे खतरा, पांच दिन तक डालेंगे डेरा
ग्वालियर, 25 अप्रैल(हि.स.) कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री, प्रदेश के स्टार प्रचारक एवं गुना-शिवपुरी सीट से अब तक अजेय उम्मीदवार रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अंदर ही अंदर जीत को लेकर संशकित दिख रहे हैं। इसलिए आसपास की सीट पर फोकस करने की जगह अपनी सीट सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। सिंधिया 25 अप्रैल से 30 अप्रैल तक अपने ही संसदीय क्षेत्र में रहकर हाथों से खिसकती जीत की बागडौर को संभालकर रखेंगे।
पिछले डेढ़ माह से सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी राजे ने गुना-शिवपुरी सीट को पूरी तरह से मथ दिया है। जिस अंदाज में वे कार्यकर्ताओं से मिली हैं, उसके बाद ज्योतिरादित्य की अपनी सीट पर आने की कोई वजह नहीं रह जाती है लेकिन उनका मन अपनी सीट को लेकर बैचेन है। इसीलिए वे एक दो नहीं बल्कि पूरे पांच दिन के लिए गुरुवार को गुना-शिवपुरी में होंगे। सिंधिया के मन में जीत को लेकर संशय अपने कार्यकर्ताओं को लेकर है या भाजपा के उम्मीदवार केपी यादव को लेकर। सिंधिया की आशंका इसलिए भी वाजिब हो सकती है क्योंकि केपी सिंधिया का ही करीबी रहा है। उन्हें यह भी मालुम होगा कि उनकी किस कमजोर नब्ज पर केपी का हाथ है जिसके चलते वह जीत का दावा कर रहा है। इसी नब्ज को टटोलने के लिए वे पांच दिन अपने गढ़ में रहेंगे।
पिछोर में गड्ढा होने का अंदेशा : ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए पिछौर विधानसभा क्षेत्र से 50-60 हजार से कम मत कभी नहीं मिले हैं। लेकिन इस बार खतरे की घंटी बज रही है। इसका कारण पिछौर विधायक केपी सिंह को कमलनाथ मंत्रिमंडल से दूर रखना है। केपी सिंह के समर्थक इसके पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक वजह मानते हैं। केपी ने सिंधिया को लेकर कभी अपना मुंह नहीं खोला है लेकिन समर्थक कहते हैं पुरी पर गुना रखकर हिसाब चुकता किया जाएगा। केपी की नाराजगी भांपते हुए ही उन्होंने पहली फुर्सत में पूर्व मंत्री भैया साहब लोधी को कांग्रेस ज्वायन कराई थी। भैया साहब की लोधी वोटबैंक पर अच्छी पकड़ है। पिछौर की तरह गुना-शिवपुरी का शहरी क्षेत्र भी सिंधिया के लिए कभी लाभ की स्थिति में नहीं रहा। भाजपा भले ही लोकसभा का चुनाव हारती रही है लेकिन इन दोनों क्षेत्रों से उसे सिंधिया की तुलना में कहीं अच्छे वोट मिले हैं।
किसानों की नाराजगी भी एक वजह : गुना-शिवपुरी-अशोकनगर क्षेत्र के किसानों में भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को लेकर साढ़े चार माह में ही गुस्सा पनपने लगा है। इनकी नाराजगी का एक कारण यह है कि पहले विधानसभा चुनावों में सिंधिया मुख्यमंत्री बनेंगे, इस नाम पर वोट बटोर लिए थे और कमलनाथ मुख्यमंत्री बन गए। कृषक लोटन सिंह कहते हैं कि हमें तो ठनठनगोपाल कर दिया। राधौगढ़ विधायक जयर्वधन सिंह को मंत्री जरूर बनाया लेकिन शिवपुरी,अशोकनगर और गुना जिले से किसी भी विधायक का कद इस लायक नहीं समझा गया। इसलिए भी वहां के लोग सिंधिया से खुश नहीं हैं। लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए मंत्री इमरती देवी, लाखन सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, तुलसी सिलावट की अपने गढ़ को बचाए रखने के लिए तैनात किया गया है । हाल में ही पार्टी में शामिल किए गए पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह की ड्यूटी भी ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए लगाई गई है। जीवाजी विश्वविद्यालय में ईसी मेंबर रहे डा.केशव पांडेय की ड्यूटी भी अशोकनगर में है।
भिंड-मुरैना-ग्वालियर को लावारिश छोड़ा महाराज ने : महाराज यानि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर अंचल से इसलिए दूरियां बढ़ा ली हैं क्योंकि वे ग्वालियर और भिंड के टिकट को लेकर खुश नहीं हैं। भिंड में वे बारेलाल जाटव, अशोक अर्गल में कोई एक को टिकट चाहते थे। भिंड में कांग्रेस की जमीनी रिपोर्ट भी अच्छी नहीं है। जबकि ग्वालियर में उन्होंने मोहन सिंह राठौर पर दांव चला था लेकिन सिंधिया का बढ़ा कद भी उनकी इच्छा से टिकट नहीं दिला सका। लगातार चौथी बार लोकसभा का टिकट लेने में सफल रहे अशोक सिंह अपने दमखम पर चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस के युवा नेता संजय सिंह यादव कहते हैं कि अशोक सिंह भाजपा उम्मीदवार की तुलना में काफी भारी साबित होंगे। भिंड-ग्वालियर के अलावा सिर्फ मुरैना में सिंधिया समर्थित रामनिवास रावत को ही टिकट मिला है। प्रदेश के कार्यवाहक अध्यक्ष के नाते भी रामनिवास रावत को जिताने के लिए सिंधिया अभी तक भरोसा नहीं दिला पाए हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 12 मई को मतदान है और इससे दो-तीन पहले अगर उन्होंने प्रयास भी किया तो तब तक देर हो चुकी होगी। राजनीतिक विश्लेषक प्रो.योगेन्द्र मिश्रा कहते हैं कि वर्ष 2014 की तरह इस बार भी परिणाम भाजपा के लिए अपेक्षित रहने का अनुमान है।
कांग्रेस के बड़े नेताओं की घेराबंदी का असर
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर कहते हैं कि हमने प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं की घेराबंदी की है। इसीलिए दिग्विजय सिंह भोपाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया को गुना में बांध रखा है। सिंधिया पांच दिन अंचल में रहेंगे लेकिन भिंड- ग्वालियर और मुरैना के लिए उनके पास समय नहीं है।
हिन्दुस्थान समाचार / लाजपत / मुकेश/सुभाष